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जसप्रीत बुमराह बोले- इंग्लैंड में सभी टेस्ट नहीं खेल सकता, इसलिए नहीं चाहता लीडरशिप

वर्कलोड मैनेजमेंट के चलते कप्तानी से दूर रहे जसप्रीत बुमराह, कहा- मेरा व्यक्तिगत फैसला था

भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने हाल ही में यह स्पष्ट किया कि कप्तान न बनने का फैसला उन्होंने खुद लिया है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह उनका निजी निर्णय था और इसके पीछे मुख्य कारण उनका वर्कलोड मैनेजमेंट है। बुमराह का मानना है कि उन्हें अपनी फिटनेस और खेल की निरंतरता बनाए रखने के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारियों से दूर रहना ही बेहतर विकल्प लगा।


बुमराह ने बताया कि इंग्लैंड जैसे लंबी सीरीज़ वाले दौरे में सभी टेस्ट मैच खेलना संभव नहीं होता है। तेज गेंदबाज होने के नाते उनके शरीर पर ज्यादा भार पड़ता है और अगर वे कप्तानी जैसे अहम रोल को भी अपनाते, तो यह उनके प्रदर्शन और रिकवरी पर असर डाल सकता था। इसीलिए उन्होंने खुद ही टीम मैनेजमेंट से बात कर लीडरशिप रोल से अलग रहने का निर्णय लिया।


गौरतलब है कि बुमराह को पहले भी टीम इंडिया की कप्तानी का अनुभव मिल चुका है, जब उन्होंने 2022 में इंग्लैंड के खिलाफ एक टेस्ट मैच में कप्तानी की थी। उस समय उन्होंने अपने शांत स्वभाव और रणनीतिक सोच से सभी को प्रभावित भी किया था। हालांकि इस बार उन्होंने इस भूमिका को ना कहने का कारण अपना ‘वर्कलोड’ बताया है।


बुमराह का यह निर्णय क्रिकेट के मौजूदा दौर में ‘प्लेयर मैनेजमेंट’ के महत्व को दर्शाता है। कई दिग्गज खिलाड़ी पहले ही यह कह चुके हैं कि लगातार क्रिकेट खेलने से शरीर और मानसिक स्थिति दोनों पर असर पड़ता है। ऐसे में यदि खिलाड़ी समय रहते खुद को संभालें और प्राथमिकताएं तय करें, तो उनका करियर लंबा और सफल रह सकता है।


टीम इंडिया के पास इस समय कई युवा कप्तानी के विकल्प मौजूद हैं। रोहित शर्मा जैसे अनुभवी कप्तान की मौजूदगी और हार्दिक पंड्या, केएल राहुल जैसे खिलाड़ियों की नेतृत्व क्षमता के चलते बुमराह के फैसले से टीम पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ा है।


अंत में, बुमराह ने यह भी कहा कि उनका फोकस अपनी गेंदबाजी को और बेहतर बनाने पर है, और वे भारतीय टीम के लिए हर फॉर्मेट में योगदान देना चाहते हैं। कप्तानी भले ही उन्होंने न स्वीकार की हो, लेकिन उनके प्रदर्शन और नेतृत्व जैसे गुणों की टीम को जरूरत हमेशा बनी रहेगी।