भावनाओं पर कंट्रोल खोने से होती हैं गलतियां: जानें क्या है एमिग्डला हाइजैक और इससे कैसे बचें
हम सभी कभी न कभी ऐसा महसूस करते हैं कि हम गुस्से में कुछ ज्यादा बोल गए, डर के कारण ठीक से प्रतिक्रिया नहीं दे पाए, या खुशी में कुछ ऐसा कर बैठे जो बाद में पछतावा बना। ऐसे में अक्सर लोग कहते हैं, “उस वक्त तो होश ही नहीं था।” विज्ञान की भाषा में इसे ही कहते हैं – एमिग्डला हाइजैक।
क्या है एमिग्डला?
एमिग्डला हमारे दिमाग का एक छोटा सा भाग होता है, जो भावनाओं को नियंत्रित करने का काम करता है। यह खासतौर पर डर, खतरे, गुस्से और खुशी जैसी भावनाओं पर तुरंत प्रतिक्रिया देता है। जब एमिग्डला सक्रिय होता है, तो वह दिमाग के दूसरे हिस्से prefrontal cortex (जो सोच-समझ और लॉजिकल डिसीजन लेता है) को ‘हाइजैक’ कर लेता है। इससे हमारी सोचने-समझने की क्षमता क्षीण हो जाती है और हम आवेग में आकर गलत निर्णय ले सकते हैं।
एमिग्डला हाइजैक के लक्षण
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अचानक तेज गुस्सा आ जाना
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डर या घबराहट में Freeze कर जाना
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बाद में अपने व्यवहार पर पछतावा होना
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कोई बात बिना सोचे तुरंत प्रतिक्रिया देना
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जरूरी बातों पर भी ध्यान न दे पाना
यह क्यों होता है?
एमिग्डला हाइजैक आमतौर पर तब होता है जब हमारा मस्तिष्क किसी स्थिति को खतरे या तनावपूर्ण स्थिति के रूप में पहचानता है, भले ही वह असल में वैसी न हो। यह शरीर की "फाइट या फ्लाइट" प्रतिक्रिया को सक्रिय करता है।
इससे कैसे बचें?
1. गहरी साँस लें: जब भी लगे कि आप बेकाबू हो रहे हैं, 5 सेकंड तक गहरी साँस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। यह दिमाग को शांत करता है।
2. प्रतिक्रिया देने से पहले रुकें: 10 सेकंड का नियम अपनाएं – तुरंत प्रतिक्रिया न दें, सोचें और फिर बोलें।
3. अपनी भावनाओं को पहचानें: नियमित रूप से ध्यान करें और जानें कि किस परिस्थिति में कौन सी भावना उभरती है।
4. एक्सरसाइज करें: नियमित व्यायाम और नींद से दिमाग को संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
5. जरूरत पड़े तो थेरेपिस्ट की मदद लें: यदि आपको बार-बार ऐसे हाइजैक अनुभव होते हैं, तो किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें।