Music
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जेईसीसी में जावेद अली और मामे खान ने बिखेरा संगीत का रंग, दर्शकों में दिखा जोश जावेद अली और मामे खान ने जयपुर में रचा संगीत का अद्भुत संगम जयपुर की रंगीन शाम में जब सुरों का जादू बिखरा, तो पूरा माहौल संगीतमय हो उठा। जेईसीसी (जयपुर एग्जीबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर) में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में बॉलीवुड के प्रसिद्ध सिंगर जावेद अली और राजस्थान के लोकगायक मामे खान ने अपनी प्रस्तुतियों से लोगों का दिल जीत लिया। कार्यक्रम की शुरुआत मामे खान के लोक गीतों से हुई। उनकी गायकी ने राजस्थान की मिट्टी की खुशबू मंच पर बिखेर दी। ‘केसरिया बालम’ और ‘छाप तिलक’ जैसे लोकगीतों पर लोग मंत्रमुग्ध हो उठे। लोगों ने तालियों से कलाकारों का हौसला बढ़ाया। मामे खान की गायकी ने श्रोताओं को लोक संगीत की गहराइयों में डुबो दिया। इसके बाद मंच पर आए बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक जावेद अली। उन्होंने जैसे ही अपने सुपरहिट गानों की प्रस्तुति दी, श्रोता झूमने पर मजबूर हो गए। 'कुन फाया कुन', 'गुज़ारिश', और 'दिलदार' जैसे गानों से उन्होंने श्रोताओं को सुरों की अद्भुत यात्रा पर ले जाया। जैसे ही जावेद अली ने पुष्पा फिल्म का लोकप्रिय गीत 'श्रीवल्ली' गाना शुरू किया, पूरा माहौल -
स्निग्धा की भक्ति सुरों से महक उठा गंगा घाट गंगा आरती में लोकगायिका स्निग्धा के गूंजे भक्ति गीत गंगा तट पर बही भक्ति और संगीत की पवित्र धारा वाराणसी। पवित्र गंगा तट पर मंगलवार की शाम एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जब लोकगायिका स्निग्धा की मधुर आवाज़ ने संध्या गंगा आरती को एक नए रंग में रंग दिया। भक्ति और संगीत के इस संगम ने न सिर्फ घाट पर मौजूद श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया, बल्कि पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। गंगा आरती, जो प्रतिदिन घाटों पर संपन्न होती है, इस बार विशेष रही क्योंकि उसमें लोकगायन की मिठास भी घुल गई थी। लोकगायिका स्निग्धा ने 'हर हर गंगे', 'जय माँ गंगे' और 'नमामी गंगे' जैसे भक्ति गीतों को अपनी स्वर लहरियों में ढालकर प्रस्तुत किया। जब घाट पर दीप जलाकर आरती की जाती रही थी, उसी समय स्निग्धा के सुरों ने घाट पर एक अलौकिक ऊर्जा का संचार कर दिया। उनकी प्रस्तुति को सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु, पर्यटक और स्थानीय लोग एकत्रित हुए। स्निग्धा ने उत्तर भारत की लोकधुनों और भक्ति रस को जोड़कर भजन प्रस्तुत किए, जो सीधे दिल को छूते हैं। गंगा की लहरों पर जब स्निग्धा की आवाज़ ग -
भारतीय शास्त्रीय संगीत का आधुनिक दौर में प्रभाव भारतीय शास्त्रीय संगीत का आधुनिक दौर में प्रभाव भारतीय शास्त्रीय संगीत एक समृद्ध परंपरा का हिस्सा है, जिसकी जड़ें सदियों पुरानी हैं। यह केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि ध्यान, चिकित्सा और आध्यात्मिकता का भी माध्यम है। समय के साथ संगीत की धारा बदली है, लेकिन शास्त्रीय संगीत की अहमियत आज भी बनी हुई है। आधुनिक दौर में डिजिटल प्लेटफॉर्म और फ्यूजन म्यूजिक ने इसे नए आयाम दिए हैं। शास्त्रीय संगीत की प्रमुख शैलियाँ भारतीय शास्त्रीय संगीत मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित है— हिंदुस्तानी संगीत (उत्तर भारत) और कर्नाटक संगीत (दक्षिण भारत)। तानसेन, भीमसेन जोशी, एम.एस. सुब्बालक्ष्मी, रविशंकर, और अन्नपूर्णा देवी जैसे महान संगीतकारों ने इसे नई ऊंचाइयां दीं। आधुनिक संगीत में शास्त्रीय संगीत का योगदान आज भी बॉलीवुड, इंडी म्यूजिक और वेस्टर्न फ्यूजन में शास्त्रीय संगीत का प्रभाव दिखता है। ए.आर. रहमान, शंकर-एहसान-लॉय, और अमित त्रिवेदी जैसे संगीतकार शास्त्रीय रागों का खूबसूरती से उपयोग कर रहे हैं। कई लोकप्रिय बॉलीवुड गानों जैसे "मोहे रंग दो लाल" (बाजीराव मस्तान -
संगीत का मनोवैज्ञानिक प्रभाव: कैसे धुनें हमारे मूड को बदल सकती हैं संगीत का मनोवैज्ञानिक प्रभाव: कैसे धुनें हमारे मूड को बदल सकती हैंसंगीत हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। यह न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि हमारे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डालता है। कई वैज्ञानिक शोधों से यह साबित हुआ है कि संगीत हमारी भावनाओं, तनाव स्तर, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और संपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।मूड पर प्रभावसंगीत सुनना हमारे दिमाग में डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर की सक्रियता बढ़ाता है, जो खुशी और सुकून देने का काम करते हैं। जब हम कोई उत्साहित करने वाला गाना सुनते हैं, तो हमारा मूड तुरंत अच्छा हो जाता है, जबकि धीमे और शांत संगीत से हमें शांति और सुकून महसूस होता है। यही कारण है कि कई लोग योग या ध्यान के दौरान धीमा और सुकून देने वाला संगीत सुनते हैं।तनाव और चिंता कम करता हैआजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव और चिंता आम समस्याएं बन गई हैं। संगीत इसमें भी मददगार साबित हो सकता है। खासतौर पर क्लासिकल संगीत और नेचर साउंड वाला संगीत तनाव कम करने में मदद करता है। कई लोग ध्यान (म -
संगीत और मानसिक स्वास्थ्य: कैसे संगीत तनाव को कम करता है? संगीत और मानसिक स्वास्थ्य: कैसे संगीत तनाव को कम करता है?संगीत सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का एक प्रभावी तरीका भी है। विभिन्न शोधों से यह साबित हो चुका है कि संगीत तनाव को कम करने, मूड को सुधारने और मानसिक शांति प्रदान करने में मदद करता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में संगीत एक थेरेपी की तरह काम कर सकता है।संगीत का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभावतनाव और चिंता को कम करता हैजब हम संगीत सुनते हैं, तो हमारा दिमाग डोपामिन (खुशी देने वाला हार्मोन) रिलीज करता है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। धीमे और सुकून देने वाले संगीत (जैसे क्लासिकल या लाइट इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक) से नर्वस सिस्टम शांत होता है और दिमाग को आराम मिलता है। मूड को बेहतर बनाता हैजब हम उदास या थके हुए होते हैं, तो मनपसंद गाने सुनने से तुरंत एनर्जी महसूस होती है। म्यूजिक थेरेपी के जरिए अवसाद (डिप्रेशन) के लक्षणों को भी कम किया जा सकता है। नींद की गुणवत्ता सुधारता हैहल्का और मधुर संगीत सुनने से अनिद्र -
भारतीय शास्त्रीय संगीत का आधुनिक दौर पर प्रभाव भारतीय शास्त्रीय संगीत का आधुनिक दौर पर प्रभावभारतीय शास्त्रीय संगीत सदियों पुरानी धरोहर है, जिसने समय के साथ आधुनिक संगीत पर गहरा प्रभाव डाला है। हिंदुस्तानी और कर्नाटिक संगीत की समृद्ध परंपराएं न केवल पारंपरिक मंचों पर जीवंत हैं, बल्कि आज के पॉप, बॉलीवुड और फ्यूजन संगीत में भी इसकी झलक देखने को मिलती है।शास्त्रीय संगीत की मौजूदा स्थितिआज के समय में कई कलाकार और संगीतकार शास्त्रीय रागों को आधुनिक धुनों में ढालकर प्रस्तुत कर रहे हैं। भारतीय संगीत के प्रमुख घराने जैसे कि ग्वालियर, पटियाला, किराना और बनारस घराना अभी भी अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। उस्ताद अमजद अली खान (सरोद), पंडित हरिप्रसाद चौरसिया (बांसुरी) और पंडित जसराज (वोकल) जैसे कलाकारों ने शास्त्रीय संगीत को एक नई ऊंचाई दी है।बॉलीवुड और शास्त्रीय संगीतबॉलीवुड ने भी भारतीय शास्त्रीय संगीत को अपनाया है। पुराने दौर में नौशाद, मदन मोहन और ए.आर. रहमान जैसे संगीतकारों ने राग आधारित धुनों को लोकप्रिय बनाया। आज भी कई गाने रागों पर आधारित होते हैं, जो संगीत को एक अलग ही सौंदर्य प्रदान करते हैं।फ् -
ब्लैकपिंक वर्ल्ड टूर 2025: के-पॉप ग्रुप ब्लैकपिंक ने अपने नए वर्ल्ड टूर की तारीखों की घोषणा की। वेव्स 2025: 'रेज़ोनेट: द ईडीएम चैलेंज'इलेक्ट्रॉनिक संगीत निर्माताओं और डीजे के लिए, वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (वेव्स) 2025 एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान कर रहा है। भारतीय संगीत उद्योग (आईएमआई) और केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सहयोग से 'क्रिएट इन इंडिया चैलेंज' के तहत "रेज़ोनेट: द ईडीएम चैलेंज" का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक संगीत और डीजे कला में नवाचार और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना है। प्रतिभागियों को अपने मूल ईडीएम ट्रैक प्रस्तुत करने होंगे, जिनका मूल्यांकन उद्योग विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा। शीर्ष 10 फाइनलिस्ट वेव्स 2025 में लाइव प्रदर्शन करेंगे, जहां वे नकद पुरस्कार और अंतरराष्ट्रीय पहचान के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। पंजीकरण की अंतिम तिथि 10 मार्च, 2025 है। 'सिम्फनी ऑफ इंडिया चैलेंज 2025'वेव्स 2025 के तहत एक और प्रमुख कार्यक्रम 'सिम्फनी ऑफ इंडिया चैलेंज' है, जो देश भर की शास्त्रीय और लोक संगीत प्रतिभाओं को एक मंच पर लाता है। इस चुनौती में प्रारंभिक रूप से 212 संगीतकारों ने पंजीकरण कराया, जिनमें से कठोर चयन -
संगीत मानापमान' ट्रेलर लॉन्च: महाराष्ट्र में हुआ भव्य उद्घाटन 'संगीत मानापमान' फिल्म का ट्रेलर लॉन्च: मराठी संगीत की समृद्ध परंपरा का प्रदर्शित करते हुएमराठी सिनेमा ने हमेशा से ही अपनी सांस्कृतिक धरोहर और संगीत पर आधारित फिल्मों को दर्शकों तक पहुँचाया है। ऐसी ही एक फिल्म है 'संगीत मानापमान', जिसका ट्रेलर 23 दिसंबर 2024 को मुंबई में बड़े धूमधाम से लॉन्च किया गया। इस विशेष कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, अभिनेता सुबोध भावे, गायिका अमृता खानविलकर और कई प्रमुख कलाकारों की उपस्थिति ने इसे और भी खास बना दिया।फिल्म का निर्देशन सुबोध भावे ने किया है, जो स्वयं मराठी सिनेमा के एक प्रमुख अभिनेता और निर्देशक हैं। इस फिल्म का उद्देश्य मराठी संगीत की समृद्ध परंपरा को प्रदर्शित करना है, जिसमें शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, और आधुनिक संगीत का सम्मिलन किया गया है। 'संगीत मानापमान' न केवल मराठी फिल्म इंडस्ट्री की धरोहर को संरक्षित करने का प्रयास करती है, बल्कि यह दर्शकों को संगीत की गहरी समझ और सम्मान भी प्रदान करती है।ट्रेलर के लॉन्च के दौरान, अभिनेता सुबोध भावे ने फिल्म के बारे में बताया कि यह फिल्म सं -
लेडी गागा का संगीत छोड़ने का बड़ा खुलासा: मानसिक स्वास्थ्य था मुख्य कारण लेडी गागा का संगीत छोड़ने का बड़ा खुला -
टीम 'चंडीगढ़ करे आशिकी' ने दिल्ली में अपना टाइटल ट्रैक लॉन्च किया! आयुष्मान खुराना, वाणी कपूर, निर्देशक अ -
हेमंत जोशी वर्ल्ड फासटेस्ट हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले दुनिया के पहले सिंगर संगीत जगत में बहुत कलाकार आते हैं जो भ -
दो महीने पहले गिरा हुआ पेड़ फिर से खड़ा हुआ,गांव वालों ने माना चमत्कार मध्य प्रदेश के विदिशा के एक गाँव में द -
सूरत में इसबार गणेशमहोत्सव में नहीं होगी भक्तों भीड़ : भक्त करेंगे दिल से दर्शन.. वैश्विक महामारी कोरोना के कारण, गणेश च -
प्रवासियों को राहत: अहमदाबाद का सेंट्रल बसडेपो आज से शरू. कोरोना वायरस के कारण 22 मार्च से देशव्य -
#UNLOCK2 की नई गाइडलाइंस जारी, रात के 10 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू देश में कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन क -
अहमदाबाद में कोरोना के दर्दी के इलाज के लिये म्यूजिक थेरापी अहमदबाद शहर के सिविल अस्पताल में एक को -
"हैप्पी बर्थडे उत्तर कुमार": कविता जोशी, प्रताप धामा, राजेंद्र कश्यप अन्य सेलेब्स ने धाकड़ छोरा के जन्मदिन को बेहद शानदार तरीके से मनाया आज उत्तर भारत के मशहूर एक्टर उत्तर कुम - View all